Sun. Nov 17th, 2024

नई दिल्ली, 3 फरवरी 2022; यूनियन गवर्नमेंट विशेष घटक योजना यानि Special Component Plan (SCP) के तहत अनुसूचित जाति के लिए अनुसूचित जनजाति उपयोजना यानि tribal Sub Plan (TSP) के तहत अनुसूचित जनजाति के लिए अतिरिक्त बजट आबंटित करती है | इन आंकड़ों को Statement 10A और Statement 10B के तहत क्रमश: दर्शाया जाता है | यूनियन बजट के इन दोनों स्टेटमेंट में यह पाया गया कि SC के लिए वर्ष 2021-22 में आबंटित रु० 1,26,259 करोड़ संशोधित / पुनरीक्षित बजट में बढ़कर रु० 1,39,956 करोड़ हो गया है और वर्ष 2022-23 में पुन: बढ़कर रु० 1,42,342 करोड़ हो गया है; यह सरकार के पुरे बजट का 3.61% है | इसी प्रकार ST के लिए आबंटित बजट वर्ष 2021-22 में आबंटित रु० 79,942 करोड़ संशोधित / पुनरीक्षित बजट में बढ़कर रु० 87,473 करोड़ हो गया है और वर्ष 2022-23 में पुन: बढ़कर रु० 89,265 करोड़ हो गया है; यह सरकार के पुरे बजट का 2.26% है | अन्य वर्षों में आबंटित और खर्च का विवरण टेबल में देखा जा सकता है |

मोटे तौर पर इसे हम बढ़ा हुआ बजट कह सकते हैं | लेकिन इस बजट के पीछे की कुछ वास्तविकताएं हैं, जैसे किन मदों में यह पैसा आबंटित हुआ है, क्या वे बजट लोगों तक पहुँच रहे हैं, यदि लोगों तक नहीं पहुँच रहे हैं तो यह पैसा कहाँ जा रहा है, आदि |

कृषि मंत्रालय ने SC वर्ग के लिए वर्ष 2022-23 में रु० 20,472 करोड़ आबंटित किया है जिसमें से रु० 2,667 करोड़ फसल विमा योजना के लिए किया गया है | इसी प्रकार ST वर्ग के लिए इस योजना में रु० 1,381 करोड़ आबंटित है | पिछले वर्षों में इस योजना के तहत जो पैसे आबंटित हुए उनके बारे में महालेखा नियंत्रक की रिपोर्ट कहती है कि सरकार के SC/ST के पास लाभार्थियों का आंकड़ा नहीं है | इसलिए यह पुष्टि नहीं हो सकती कि कितने SC/ST को इसका फायदा हुआ है; सिर्फ इतनी ही पुष्टि होती है कि बिमा कंपनियों को SC/ST के कल्याण के बजट से प्रति वर्ष फण्ड दिया जाता है जो वर्ष 2022-23 में रु० 4,048 करोड़ है |
 “3.3.9 Between 2011-12 and 2015-16, DAC&FW allocated and released Rs. 2,381.33 crore specifically for coverage of SC and ST farmers under these schemes. However, AIC did not maintain separate data on financial support to these categories. Similarly, AIC did not maintain data on women farmers under the schemes even though the NCIP guidelines of 2013-14 required special efforts to ensure maximum coverage of SC/ST and women category of farmers, and DAC&FW had asked AIC (December 2011) to maintain such information.” Report No. 7 of 2017, Page 22
 
उच्च शिक्षा विभाग ने SC वर्ग के लिए वर्ष 2022-23 में रु० 3,889 करोड़ आबंटित किया है जिसमें से रु० 495 करोड़ भारतीय प्रौद्योगिक संस्थानों यानि India Institutes of Technology (IITs) की सहायता के लिए आबंटित है | इसी प्रकार ST के लिए इस योजना में रु० 240 करोड़ आबंटित है | पिछले वर्षों में इस योजना के तहत जो पैसे आबंटित हुए उनके बारे में महालेखा नियंत्रक की रिपोर्ट कहती है कि इन IIT में PG कोर्स के लिए ज्यादातर सीट खाली रहती है और Ph.D. कोर्स में 75% SC की और 95% ST की सीटें खली रहती हैं | इसका अर्थ यह है कि ये संसथान आने वाले वित्तीय वर्ष में 2022-23 में रु० 735 करोड़ SC/ST के हिस्से से इस्तेमाल करेगें लेकिन वे इस वर्ग के छात्रों को उच्च शिक्षा में आसानी से प्रवेश नहीं लेने देगें | 

“(i) The percentage of shortfall in enrolment of SC students in post-graduate courses was significantly higher in IITGN (30 per cent), IITH (25 per cent) and IIT Mandi (23 per cent). The shortfall in ST students was high in all the eight IITs ranging between 7 per cent (IIT Ropar) and 69 per cent (IITGN).
(ii) The percentage of shortfall in enrolment of Ph.D courses was very high in respect of ST category ranging from 73 per cent (IITH) to 100 per cent (IITJ). In respect of SC students also, the shortfall was significantly higher (more than 50 per cent) in all IITs except IITH and IITBBS where it was 25 per cent and 28 per cent respectively. Under the OBC category, the shortfall was high in IITGN (37 per cent), IIT Ropar (36 per cent) and IIT Mandi (32 per cent).” Report No. 20 of 2021, Page 42
 
SC/ST के बजट का अनावश्यक मदों में आबंटन और खर्च: वर्ष 2016-17 के बजट के ऑडिट में यह पाया गया कि बहुत से ऐसे विभाग हैं जिनके पास SC/ST के लिए कोई योजना नहीं है लेकिन वे बड़ी मात्रा में इनके बजट का इस्तेमाल करते हैं | उपेक्षा इस हद तक है कि महालेखा नियंत्रक ने कम से कम चार बार ऐसी लापरवाहियों को ठीक करने के लिए कहा लेकिन मंत्रालय ने उसका कोई संज्ञान नहीं लिया | सभी मंत्रालयों की बात बताना संभव नहीं है इसलिए हम सिर्फ एक मंत्रालय की बात कर सकते हैं | आदिवासी कल्याण मत्रालय आदिवासियों के कल्याण के लिए नोडल मंत्रालय है लेकिन यह खुद ही बजट बनाते समय लेखा प्रक्रियाओं की जिस तरह उपेक्षा करता हैं उससे बहुत सी चीजें अपने आप स्पष्ट हो जाती हैं | 

“Audit noticed that out of the total provision of Rs. 1,250 crore, the Ministry of Tribal Affairs released  Rs. 1,195.03 crore as ‘Special Central Assistance for Tribal Sub Plan’ in the year 2016-17 and booked this under the minor head ‘796-Tribal Area Sub Plan’ in Grant No. 89 pertaining to the Ministry of Tribal Affairs. The same was required to be provisioned and booked under the minor head ‘794-Special Central Assistance for Tribal Sub Plan’ as prescribed in the extant instructions.
The matter had also been pointed out in the CAG’s Report No.1 on Union Government Accounts for the financial year 2012-13, 2013-14, Report No. 50 for 2014-15 and Report No.34 for 2015-16.
In response to Report No.34 for 2015-16, the Ministry had assured (July 2016) that the minor head ‘794’ would be opened in the DDG for the year 2017-18 for Special Central Assistance for Tribal-Sub-Plan.
Scrutiny of DDG for the year 2017-18, however, revealed that an amount of Rs. 1,350.00 crore had been obtained as provision for ‘Special Central Assistance for Tribal Sub-Schemes’ under Major Heads- 2225, 2552 and 3601 in minor head ‘796’ instead of ‘794’.
The Ministry stated (August 2017) that the matter has been taken with the Ministry of Finance for opening of a new Minor head 794 so that expenditure under the Scheme Special Central Assistance to Tribal Sub Scheme could be booked under the distinct minor head of 794, as contained in general directions to the List of Major and Minor Head of Account.” Report of the CAG on Union Government Accounts 2016-17, Page 132
 
सफाई कर्मचारी का कल्याण: इनके कल्याण की जिम्मेदारी सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के उपर है | यह मंत्रालय अपने व्यौरेवार अनुदान की मांगों यानि Detailed Demand for Grants (DDG) को वर्ष 2019-20 के बाद से अपनी वेबसाइट पर अपलोड नहीं करता है | लिहाजा लोगों को यह पता नहीं चल पाता कि सदन में उन्होंने जो बजट पेश किया उसका विवरण क्या है | इसलिए इनके DDG आधारित आंकड़े वर्ष 2019-20 तक के ही उपलब्ध हैं | इन आंकड़ों के हिसाब से वर्ष 2016-17 में स्वरोजगार के अंतर्गत पुनर्वास के लिए रु० 9 करोड़ आबंटित था जिसमें कुछ भी खर्च नहीं हुआ और पूरा पैसा लैप्स हो गया | वर्ष 2017-18 में रु० 4.5 करोड़ आबंटित हुआ और रु० 5 करोड़ खर्च हुआ | इसके बाद के वर्षों में खर्च के आंकड़ों का पता लगाने के लिए मंत्रालय की वेबसाइट पर DDG उपलब्ध नहीं है | शेष आंकड़े इस प्रकार हैं : 

यूनियन गवर्नमेंट अपने Statement 10A में जो आंकड़े सदन के समक्ष पेश करती है उसमें सफाई कर्मचारियों से सम्बंधित दो योजनाओं का जिक्र है | उसमें से एक योजना “पुनर्वास के लिए स्वरोजगार की योजना” को हम देख सकते हैं क्योंकि इस वर्ग ने कोरोना महामारी में सबसे ज्यादा उत्पीड़न झेला है और इनके उपर आजीविका को लेकर सबसे ज्यादा गहरा संकट था | वर्ष 2020-21 में स्वरोजगार योजना के अंतर्गत इनके पुनर्वास के लिए रु० 110 करोड़ आबंटित था जिसमें से मात्र रु० 16.60 करोड़ खर्च हुआ | वर्ष 2021-22 में रु० 100 करोड़ आबंटित था जिसे संशोधित बजट में घटाकर रु० 43.31 करोड़ कर दिया | वर्ष 2022-23 में कुल रूपये 70 करोड़ का प्रावधान है |

सदन में जब सफाई कर्मचारियों के सीवर में होने वाली मौतों के बारे में पूछा गया तो सदन में दिए गए जवाब से बहुत से प्रश्न पैदा होते हैं जिनके जवाब जरुरी हैं | लोक सभा के प्रश्न संख्या 261 दिनांक 04/02/2020 के जवाब में दो Annexure दिए गए हैं | Annexure-I में उन राज्यों का विवरण है जिनमें सफाई कर्मचारियों की पहचान की गयी है और उन्हें 13/01/2020 तक पुनर्वास के लिए एक बारगी नगद सहायता रु० 40,000/- प्रति व्यक्ति के दर से दी गयी | Annexure-II में उन राज्यों का विवरण है जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के उपरांत मृतक सफाई कर्मियों के परिवारों को मुवावजा दिया है | Annexure-I में आसाम, झारखंड और ओडिशा राज्यों के नाम हैं लेकिन Annexure-II में इनके नाम नहीं है: इसका मतलब यह हुआ कि इन राज्यों में सफाई कर्मियों की मृत्यु नहीं हुई है | Annexure-II में चंडीगढ़, दिल्ली, गोवा, हरियाणा, तेलंगाना और त्रिपुरा राज्यों के नाम हैं लेकिन Annexure-I में इन राज्यों के नाम नहीं हैं | इसका मतलब यह हुआ कि इन राज्यों ने सफाई कर्मचारियों की पहचान किये बगैर उन्हें मुवावजा दी गई है | प्रश्न संख्या 256 दिनांक 19/11/2019 के जवाब में Annexure-II में 36 राज्यों / संघ शाषित प्रदेशों में मृत सफाई कर्मचारियों के परिवारों को दी जाने वाली मुवावजा का विवरण है | हम दिल्ली राज्य को उदहारण के लिए समझें तो इस विवरण के अनुसार 30 जून 2019 तक दिल्ली में कुल 49 सफाई कर्मचारियों की सीवर दुर्घटना में मृत्यु हुई है | लेकिन प्रश्न संख्या 261 दिनांक 04/02/2020 के जवाब में Annexure-II में 15 जनवरी 2020 तक कुल 89 सफाई कर्मचारियों की मृत्यु सीवर दुर्घटना में हुई है | इसका अर्थ यह है कि 30 जून 2019 और 15 जनवरी 2020 के बीच (लगभग साथ महीने में) दिल्ली के अंदर 40 (89 – 49 = 40) सफाई कर्मचारी सीवर दुर्घटना में मरे हैं | यह पता नहीं है कि सच क्या है लेकिन यदि यह सच है तो स्थिति बहुत नाजुक है क्योंकि इनके पुनर्वास के लिए स्वरोजगार योजना के अंदर बजट की कटौती भी हो रही है |
दुसरे राज्यों में भी कमोवेश ऐसे ही हालात हैं | देश के बजट में इनके प्रावधान और सदन में पूछे गए प्रश्नों के जवाब इन सच्चाइयों के प्रमाण हैं | बजट के माध्यम से पुरे देश को बताया जा रहा है कि सरकार संविधान का पालन करती है और दलित आदिवासियों की हितैषी है | लेकिन यह सब आंकड़ों के मायाजाल का खेल है | 

बजट विश्लेषण की रिसर्च टीम में उमेश बाबू, एना जफर, राजू सरकार और विभोर टाक शामिल हैं।

loading...

By Khabar Desk

Khabar Adda News Desk

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *