Sun. Sep 8th, 2024

New Delhi :- ( प्रेस विज्ञप्ति) साहित्य और संगीत का रिश्ता बेहद पुराना है। भावनाएँ संगीत में ढलकर मुसकुराहट और सुकून का रूप लेती हैं। रविवार की शाम, दिल्ली के साहित्यिक समूह द मॉडर्न पोएट्स ने इक ऐसी ही सुकून भरी शाम का आयोजन किया। शाम में साहित्य और सुरों के रंग कुछ यूँ बिखरे कि देखने वालों के मन में बस गए। द मॉडर्न पोएट्स द्वारा आयोजित साज़-ओ-सुख़न का आगाज़ पाँच बजे, अ स्लीपी फ़ॉक्स में हुआ।

साज़-ओ-सुख़न के मंच की बाग-डोर दीक्षा कधिकारी जी ने संभाली। जहाँ उन्होंने अपनी डायरी से जीवन के उन लम्हो को उजागर किया जो पन्नो में कहीं छुपे रह जाते हैं और उनमें अपने कविताओं से रंग भरा The Modern Poets के कलाकारों ने। मानसी गोस्वामी की कविता ने जहाँ जीवन के प्रतिबिंब को झलकाया वहीं पूजा राना की कविता ने अपने जीवन की ओर झाँकने के लिए मजबूर कर दिया, मयंक असवाल जी की कविता ने तितली के जीवन मे प्रेम के रंग को भरा जाह्नवी सक्सेना ने ख्याली शहर में जीवन व्यतीत करने का दर्शन दिया अभिनव सक्सेना अपनी नज़्म से जीवन मे प्रेम की विरह दिखाई और अमीषा राजपूत ने अपनी माँ को लिखी चिट्ठी पढ़ा जिसमे उन्होंने उनसे सवाल किए और उत्कर्ष चतुर्वेदी जी ने इंसान के दोगले पन पर अपनी प्रस्तुति दी। साथ रोहन नायर के गानों ने दर्शकों का समाँ बाँधा और फ़ैज़ान अपने गिटार और सुरों का जलवा बिखेरते नज़र आए।

कैलाश कॉलोनी में हुए इस कार्यक्रम में दर्शकों में उत्साह दिखा, उन्हें साहित्य का एक और रूप दिखा जहाँ उन्होंने साहित्य का सुर से संगम देख कर जीवन के महत्वपूर्ण क्षणों को जिया ।

The Modern Poets के संस्थापक अंशुल जोशी व मोहित जी से बात चीत में उन्होंने बताया कि यह साज़ ओ सुख़न का तीसरा खण्ड था, वह इस तरह के कार्यक्रम और करते रहेंगे ताकि साहित्य की अलख समाज मे जगती रहे और नए कलाकारों का मंच मुहैया कराया जा सके

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By Khabar Desk

Khabar Adda News Desk

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