नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट में ऐसे ऐसे जज है जो मोदी जी को अपना हीरो मानते है। बहुत से ऐसे भी है जो कम्युनल है और जिनका सीधा रिश्ता BJP और RSS के साथ रहा है और उनका सीधा अपोइंटमेंट हुवा है। और इनमें से बहुत से जज सरकार से डरते भी है।
दरअसल प्रशांत भूषण का इतना बड़ा बयान सुप्रीम कोर्ट द्वारा उनके ऊपर 1 रुपए का जुर्माना लगाने के बाद आया। उन्होंने साफ तौर से कहा कि कोर्ट में जो कुछ हो रहा है वो शक के घेरे में है। सुप्रीम कोर्ट के जाने माने वकील प्रशांत भूषण पत्रकार आशुतोष को एक इंटरव्यू दे रहे थे जिसमें उन्होंने इतना बड़ा खुलासा किया है।
https://youtu.be/N23DtDUK5Y8
इस इंटरव्यू में प्रशांत भूषण यहीं नहीं रुके उन्होंने खुल कर कहा कि सुप्रीम कोर्ट सरकार की इक्षा के अनुसार काम कर रहा है। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के सारे फैसले वैसे ही आ रहे है जो सरकार चाहती है। और वो फैसले नहीं आती है जो सरकार नहीं चाहती है। और उन्होंने इसका उदाहरण देते हुए कहा कि आप अयोध्या, राफेल और जज लाया जैसे केस के फैसलों को देख सकते है सब कुछ समझ आ जाएगा। वहीं उन्होंने कहा कि सरकार नहीं चाहती है कि CAA, और कश्मीर पर सुनवाई हो तो सुप्रीम कोर्ट भी इसपर सुनवाई करने के लिए तैयार नहीं है।
आपको बता दें कि प्रशांत भूषण के 3 ट्वीट को लेकर विवाद खड़ा हो गया था जिसमे उन्होंने लोकतंत्र और सुप्रीम कोर्ट के कार्यों पर सवाल उठाया था ताकि देश भर में यह चर्चा शुरू हो सके कि सुप्रीम कोर्ट को आखिर क्या हो गया है कि सुप्रीम कोर्ट सरकार से इतने डरने लगी है या सरकार के साथ मिलकर चलने लगी हैं। प्रशांत भूषण का यह कहना था कि सुप्रीम कोर्ट ने उनके ऊपर कोर्ट की अवमानना का केस दर्ज कर लिया। जिसमें प्रशांत भूषण को दोषी भी करार दे दिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण से कहा गया कि अगर आप माफी मांग लेंगें और यह वादा करेंगें की अब आगे से आप ऐसी बात नहीं करेंगें तो हम आपको माफ कर देंगे। लेकिन प्रशांत भूषण ने माफी मांगने से इंकार कर दिया। ऐसे में जब सुप्रीम कोर्ट ने दोषी ठहरा दिया तो सज़ा देना तो लाज़मी था लेकिन क्या सज़ा दी जाए यह तय करने में सुप्रीम कोर्ट को कई हफ़्तों का समय लग गया क्योंकि खुद सुप्रीम कोर्ट के कई जज, वकीलों की बड़ी टीम और अटॉर्नी जनरल भी प्रशांत भूषण को सज़ा दिलाने के पक्ष में नहीं थे। आखिरकार कोर्ट ने अपनी अवमानना की कीमत 1 रुपये लगा डाला। जिसके बाद प्रशांत भूषण ने कहा हम फैसले का सम्मान करते है लेकिन हमारे पास इस फैसले को रिव्यु करने का अधिकार बचा है।