लेखक : अब्दुल करीम अंसारी (समाजसेवी)
ऐसे तो आप बहुत सारे नेताओं को देखे होंगे जो दिखते कुछ है और असल जीवन मे होते कुछ है। लेकिन आज बात एक नेता की जो दिखते जैसे है रहते उससे एयर सादा है। दरअसल हम बात कर रहे है झारखण्ड के कृषी ,पशुपालन, मत्स्य विभाग के मंत्री बादल पत्रलेख की। यब देवघर के जरमुण्डी से दूसरी बार विधायक चुने गए है। जब पहली बार विधायक निर्वाचित हुए तो अपने घर के चौखट के बाहर खड़े होकर मां से आशीर्वाद लेकर कहा कि अब ये मेरा घर नही जरमुण्डी का हर घर मेरा है मैं अपने आपको अपना घर त्याग कर जरमुण्डी के जनता को समर्पित करता हूं। उस दिन से आज तक अपने घर की तरफ मुड़ कर नहीं देखा रात किसी गांव के समुदायिक भवन या अपने कार्यकर्ताओं के घर गुजरती है। राजनीति में सादगी की एक मिसाल बन गए हैं बादल जरमुण्डी।
इनकी तीन पीढ़ियां बादल भैया कह कर ही पुकारती है चाहे दादा हो, बेटा या पोता ये अपनापन होने का लगाव दिखता है। जब इन्हें मंत्री बनाया जा रहा था तो मलाईदार मंत्रालय नही बल्कि सबसे कठिन मंत्रालय की मांग की जिसमे दीन रात काम कर सुधारा जा सके और आज इस कोरोना महामारी में जिस तरह अपने मंत्रालय के जरिये किसानों को सहूलतें पैदा की दूधारू जानवरों का चारा उपलब्ध कराया। और इस बात का अधिक ख़याल रखा कि गौशाला में गाय माता चारा से वंचित ना रहे।