लेखक : अनज़र आफाक (एडिटर Khabar अड्डा)
नई दिल्ली : कल से ही शाहीन बाग़ मेन स्ट्रीम मीडिया से लेकर सोशल मीडिया पर चर्चाओं का हिस्सा बना हुवा। खबर यह है कि शाहीन बाग़ आंदोलन का एक चेहरा शहजाद अली ने भाजपा का दामन थाम लिया है। लोग जमकर प्रतिक्रिया दे रहे है आम आदमी पार्टी ने भी खुल कर इसे भाजपा का आंदोलन बताया है। लेकिन लोग भूल गए है शाहीन बाग़ का आंदोलन महिलाओं का आंदोलन था और वही इसकी अगुवा थी कहीं कोई पुरुष नही था जो इस आंदोलन की अगुवाई करें। लेकिन संघ के पैसों पर पलने वाले आम आदमी पार्टी जैसी सेक्युलर पार्टियां और दूसरे कुछ सेकुलर लोग इसे भजापा का आंदोलन बता शाहीन बाग़ की महिलाओं और दादियों को अपमानित कर दरअसल यह लोग आने वाले दिनों में NRC और CAA के खिलाफ होने वाले आंदोलन को कमजोर करने की तैयारियों में जुट गए है।
वरना 3 महीनों तक शाहीन बाग़ के आंदोलन को महिलाओं का आंदोलन बताने वाली मीडिया अचानक से शहजाद अली नामी एक ऐसे शख्स जिसे शायद शाहीन बाग़ में कोई नहीं जानता हो उसके BJP में शामिल होने पर ऐसा बवाल मचाया मानों शाहीन बाग़ आंदोलन के कर्ताधर्ता यही हो। लेकिन लोग भूल गए उन दादियों को और उन महिलाओं जिन्होंने 100 साल पुरानी रिकॉर्ड तोड़ ठंड में बैठ कर शाहीन बाग़ आंदोलन को दुनिया के सामने लाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। एक ऐसे समय मे जब रात में ठंड की वजह से लोग अपने घरों से बाहर नहीं निकल रहे थे तब भी शाहीन बाग़ की सड़क आंदोलन के नारों से पूरी रात गूँजती रहती थी।
लेकिन कल एक शाहीन बाग़ के तथाकथित आंदोलनकारी शहजाद अली को मीडिया ने इस तरह से पेश किया कि उन आंदोलनकारी महिलाओं को लगे कि दरअसल यह आंदोलन सरकार के खिलाफ नहीं बल्कि सरकार द्वारा ही प्रायोजित था। जब आप शाहीन बाग़ के आंदोलन को याद करेंगें तो शायद याद आएगा कि आंदोलन कौन लोग कर रहे थे और आज BJP में शामिल होने वाले लोग कौन है ? शायद याद करने पर आप को यह भी याद आए की यह वही लोग थे जिन्हें शाहीन बाग़ की महिलाओं ने कई बार अपने मंच से भगाया भी था लेकिन आज मीडिया इन्ही भगौड़ों को शाहीन बाग़ का चेहरा बनाने में लगी हुई है।