बलात्कार जैसे जघन्य अपराध में भी लोग अपने धर्म अपनी जाति के लोगो को बचाने की सोचते है और इससे ज्यादा इस देश के लिए खतरनाक कुछ हो नहीं सकता। आज तक हमने और देश के अधिकतर लोगों ने इस उन्नाव की बेटी के केस के बारे में नहीं सुना था, ना कभी बड़े न्यूज़ चैनलों ने उस ख़बर को दिखाया और ना ही अखबारों ने उसे प्रकाशित किया। लेकिन जब उस उन्नाव की बेटी को रेप के आरोपियों द्वारा ज़िंदा जला दिया गया तब देश को हरिशंकर त्रिवेदी, रामकिशोर त्रिवेदी, उमेश बाजपेयी, शिवम त्रिवेदी, शुभम त्रिवेदी के बारे में पता चला। चौकाने वाली बात यह है कि यह है कि उन्नाव की बेटी को ज़िंदा जलाने वाले अपराधी जमानत पर बाहर घूम रहे थे।
तो सवाल यह उठता है कि इन अपराधियो को जमानत मिली कैसे? ज़मानत मिलने के बाद उन अपराधियों ने रेप पीड़िता को जिंदा जला कर मार दिया, आखिर इतनी हिम्मत उनके अंदर आई कैसे की वह एक लड़की को ज़िंदा जलाने का जघन्य कर बैठते है और रामराज्य कहे जाने वाले उत्तरप्रदेश में क्राइम करते समय उन्हें क़ानून का कोई खौफ और भय नहीं रहता? अपराधियों को इतनी हिम्मत किसी सरकारी और राजनीतिक महकमे के संरक्षण के बिना सम्भव नहीं। भले ही आज योगी आदित्यनाथ रामराज्य की बात करते हो लेकिन सच तो ये हैं वो अपनी सीता रुपी बहन बेटियों की रक्षा और उनको न्याय दिलाने में पुर्ण रूप से असफल है और यह बात उनको माननी पड़ेगी।
ध्यान रखने योग्य हैं कि ये वो भारत देश है जिसमे ” यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता” जैसे श्लोकों का गुणगान किया जाता है। लेकिन अभी इस देश की सच्चाई ये है कि यहां नारियों को जलाया जा रहा है हर दिन 100 से ज्यादा रेप हो रहे है और अपराधी बेख़ौफ़ है। तो ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या सरकार ऐसी सोच को खत्म करने के लिए कुछ करेगी?
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लेखक
सुनील कुमार मीणा
ए.एम.ए यूनिवर्सिटी ,मनिला
फिलीपींस