मैसूर के महाराजा टीपू सुल्तान की वंशज नूर-उन-निसा इनायत ख़ान जो भारतीय मूल की ब्रिटिश गुप्तचर थीं, ने द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान मित्र देशों के लिए जासूसी की थी। की तस्वीर 50-पाउंड मुद्रा नोट पर प्रदर्शित की जा सकती है।
बैंक ऑफ इंग्लैंड ने हाल ही में 2020 से प्रिंट में जाने के लिए बड़े मूल्य नोट के नए बहुलक संस्करण की योजना की घोषणा की थी और संकेत दिया था कि यह नए अक्षरों पर संभावित पात्रों के लिए सार्वजनिक नामांकन आमंत्रित करेगा।इस हफ्ते के शुरू में दाखिल की गई एक ऑनलाइन याचिका पर बुधवार तक 1,200 से अधिक हस्ताक्षर हो चुके है। जिसमें टीपू सुल्तान के वंशज खान और भारतीय सूफी संत हजरत इनायत खान की पुत्री खान को मुद्रा पर सम्मानित किया जाना है।
नूर इनायत खान मेमोरियल ट्रस्ट के संस्थापक-अध्यक्ष और खान की जीवनी ‘जासूस राजकुमारी’ के लेखक श्राबानी बसु ने कहा, नूर एक असाधारण युद्ध नायिका थी। “मुझे पूरी तरह से खुशी है कि नूर इनायत खान की कहानी ने इतने सारे लोगों को प्रेरित किया है कि वह एक आइकन बन गई है।
बसु ने कहा, “मैं 50 पौंड नोट पर नूर इनायत खान के अभियान का समर्थन करने से बहुत खुश हूं। यह उसके अतीत को जीवित रखने और अगली पीढ़ी को उसकी कहानी को बताने का एक तरीका है। यह निश्चित रूप से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक बड़ा बयान देगा क्योंकि नूर वह थी जो बाधाओं को तोड़ने में विश्वास करती थी”
बता दें कि ब्रिटेन के स्पेशल ऑपरेशंस एक्जीक्यूटिव के रूप में प्रशिक्षित नूर द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान फ्रांस के नाज़ी अधिकार क्षेत्र में जाने वाली पहली महिला वायरलेस ऑपरेटर थीं। जर्मनी द्वारा गिरफ़्तार कर यातनायें दिए जाने और गोली मारकर उनकी हत्या किए जाने से पहले द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान वे फ्रांस में एक गुप्त अभियान के अंतर्गत नर्स का काम करती थीं। फ्रांस में उनके इस कार्यकाल तथा उसके बाद आगामी 10 महीनों तक उन्हें यातनायें दी गईं और पूछताछ की गयी, किन्तु पूछताछ करने वाली नाज़ी जर्मनी की ख़ुफिया पुलिस गेस्टापो द्वारा उनसे कोई राज़ नहीं उगलवाया जा सका।
उनके बलिदान और साहस की गाथा युनाइटेड किंगडम और फ्रांस में प्रचलित है। उनकी सेवाओं के लिए उन्हें युनाइटेड किंगडम एवं अन्य राष्ट्रमंडल देशों के सर्वोच्च नागरिक सम्मान जॉर्ज क्रॉस से सम्मानित किया गया। उनकी स्मृति में लंदन के गॉर्डन स्क्वेयर में स्मारक बनाया गया है, जो इंग्लैण्ड में किसी मुसलमान को समर्पित और किसी एशियाई महिला के सम्मान में इस तरह का पहला स्मारक है।
स्मारक
लंदन में उनकी तांबे की प्रतिमा लगाई गई है। यह पहला मौका है जब ब्रिटेन में किसी मुस्लिम या फिर एशियाई महिला की प्रतिमा लगी है। गॉर्डन स्क्वेयर गार्डन्स में उस मक़ान के नज़दीक प्रतिमा स्थापित की गई है जहां वह बचपन में रहा करती थीं। प्रतिमा का अनावरण दिनांक 8 नवम्बर 2012 को महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की बेटी राजकुमारी एनी ने किया।