नई दिल्ली: बॉलीवुड की दबंग अभिनेत्री कंगना रनौत ने एक बार फिर बॉलीवुड के कलाकारों को नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) पर अपना मुंह बंद रखने के लिए लताड़ा है और बॉलीवुड की मशहूर हस्तियों पर कटाक्ष किया।
इन दिनों देश में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) को लेकर कई आम लोग धरना प्रदर्शन कर रहे हैं l इसके चलते बॉलीवुड भी दो खेमो में बंट गया है l कुछ ने इसका समर्थन किया है तो कुछ इसके विरोध में है l
ईटाइम्स को दिए एक इंटरव्यू में फिल्म ‘जजमेंटल है क्या’ की एक्ट्रेस अपने पसंदीदा बी-टाउनियों के साथ एक बार फिर ‘पंगा’ लेने के मूड में लग रही थी और उन्होंने उनकी चुप्पी पर निशाना साधा हैं। हाल ही में सोशल मीडिया पर भी #ShameOnBollywood टॉप ट्रेंड कर रहा था। कंगना रनौत से जब बॉलीवुड की चुप्पी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया में बॉलीवुड के चुप्पी साधे कलाकारों को बेशर्म और कायर कहा हैं।
कलाकारों को खुद पर शर्म आनी चाहिए
इस बारे में बताते हुए कंगना रनौत ने कहा, ‘कलाकारों को खुद पर शर्म आनी चाहिए। मुझे इस बात का कोई भ्रम नहीं है कि बॉलीवुड कायरों से भरा हुआ है और ये सिर्फ मैं-मैं किया करते हैं। वे दिन में 20 बार आईना देखते है और जब उनसे कुछ पूछा जाता है तो वे कहते हैं कि हमारे पास बिजली है और बाकी की सुविधाएं भी है, हमें कुछ विशेषाधिकार भी प्राप्त हैं, तो हमें देश के बारे में परेशान क्यों होना चाहिएl’
सेलेब्स अपनी राय पर ट्रोल होने से डरते हैं
कंगना रनौत के अनुसार, ‘बॉलीवुड सेलेब्स एक सॉफ्ट टारगेट नहीं हैं l हालांकि उन्होंने राष्ट्र को सॉफ्ट टारगेट बना दिया है।’ कंगना रनौत ने उन्हें ‘सीसिस’ कहकर पुकारा हैंl कंगना ने कहा कि ये सेलेब्स अपनी राय पर ट्रोल होने से डरते हैं और वे सोशल मीडिया जैसे मजबूत प्लेटफॉर्म के लायक नहीं हैं। कंगना ने आगे कहा, ‘बॉलीवुड के कलाकारों को जवाबदेह होने की जरूरत हैl उन्हें अपनी शक्ति को पहचानने की आवश्यकता है। उन्हें यह शक्ति इंस्टाग्राम पोस्ट और ड्रग पार्टी करने के लिए नहीं दी गई हैl’
कंगना ने कुछ फिल्मकारों पर अत्याचारी फिल्में बनाने और वास्तविक सिनेमा को मारने का आरोप लगाया। उन्होंने उनके लिए ‘स्पाइनलेस’ और ‘बुली’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया हैं। कंगना ने कहा, ‘वे सिर्फ सोशल मीडिया पर हैं, जो मेकअप और कपड़े पहनकर पोस्ट करते हैं, वे पूरे दिन जिम में अपनी बॉडी बनाते रहते हैं। इसलिए हमें इसकी स्पष्टता की आवश्यकता है और हमें यह जानने की जरूरत है कि हमारे असली रोल मॉडल कौन हैं।’

