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रिपोर्ट : अनज़र आफाक

नई दिल्ली : कोरोना काल के बीच जामिया मिल्लिया इस्लामिया लगातार प्रवेश परीक्षा के फॉर्म भरने की तारीख को बढ़ा रहा है। लेकिन इस बार जामिया ने छात्रों से अपने प्रवेश परीक्षा फॉर्म में एकेडमिक डिटेल्स अच्छे से भरने के लिए कहा हैं। जिसमें स्पष्ट रूप से लिखा है की जो एकेडमिक डिटेल्स आप अपने फॉर्म में भर रहे है उसमें बाद में किसी भी तरह का कोई बदलाव नहीं किया जाएगा क्योंकि उसी आधार पर जामिया मेरिट लिस्ट तैयार करेगी।

तो अब सवाल यह उठता है कि क्या वाकई जामिया प्रसाशन मेरिट के आधार पर एडमिशन लेने की तैयारी में है ? तो इसका जवाब बिल्कुल स्पष्ट है कि इस बार जामिया मेरिट के आधार पर एडमिशन लेने का मूड बना चुकी है अगर ऐसा नहीं होता तो जामिया छात्रों से एकेडमिक डिटेल्स अच्छे से भरने के लिए रिमाइंडर नहीं देती। जिसमे साफ शब्दों में लिखा है कि एकेडमिक डिटेल्स के आधार पर ही मेरिट लिस्ट तैयार की जाएगी।

 

जामिया प्रशासन ने खुल कर इसपर कोई स्पष्ट बयान नहीं दिया है। हाँ एक ट्वीट के ज़रिए अटकलबाजियों से बचने की सलाह दी है। जामिया के आधिकारिक ट्विटर हैंडल द्वारा ट्वीट कर लिखा गया है की ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया गया है आगे कहा कि जामिया प्रशासन द्वारा निर्णय लेते समय छात्रों के स्वास्थ्य और रुचि का ख्याल रखा जाएगा।

जामिया प्रशासन के इस ट्वीट के बाद सवाल और गंभीर हो गए है, छात्रों की समस्या पहले से अधिक बढ़ गई है। छात्रों के ज़हन में अब यह सवाल उठने लगा है कि अगर निर्णय नहीं लिया गया है तो बिना निर्णय के ही फॉर्म भरते समय मेरिट की बात स्क्रीन पर क्यों आ रही है? क्या जामिया प्रशासन निर्णय लेने के बाद भी छात्रों को गुमराह कर रहा है और सच छुपा रहा है ताकि सोशल मीडिया के ज़रिए छात्र जो विरोध कर रहे है उसे रोका जा सके? अगर वाकई जामिया मेरिट के आधार पर परीक्षा लेना नहीं चाहती है तो वह खुल कर क्यों नहीं अपना बयान जारी करती है।

छात्र क्यों कर रहे है मेरिट के आधार पर एडमिशन का विरोध

दरअसल जामिया मिल्लिया इस्लामिया में हज़ारों या यूं कहें कि 50 प्रतिशत से अधिक छात्र बिहार और उत्तरप्रदेश जैसे राज्यों से आते है। जहां की शिक्षा व्यवस्था और परीक्षाओं में आने वाले मार्क्स से सभी अच्छे से परिचित है। बिहार और उत्तरप्रदेश जैसे राज्यो में छात्र 75 से 80 प्रतिशत मार्क्स ला कर स्टेट टॉपर बन जाते है। ऐसे में अगर जामिया मेरिट के आधार पर एडमिशन लेती है तो बिहार और उत्तरप्रदेश जैसे राज्यों से आने वाले टॉपर छात्र- छात्राओं को एडमिशन लेने में दांतों चने चबाने पड़ सकते है क्योंकि उनके सामने CBSC और दूसरे बोर्ड के छात्र होंगें जिसके आम छात्रों को 90 प्रतिशत से अधिक मार्क्स मिलता है। अगर बिहार और उत्तरप्रदेश से आने वाले स्टेट टॉपर्स का यह हाल होगा तो दूसरे छात्रों का क्या? इसका अंदाज़ा आप खुद लगाइए ?

जामिया की खूबसूरती उसकी प्रवेश परीक्षा ही तो है कि पूरा देश कहता है कि जामिया में एडमिशन लेना आसान नहीं है। खुद रवीश कुमार जैसे पत्रकार ने हाल ही में जामिया पर किए एक शो में भी इस बात को माना है। उम्मीद है कि जामिया जल्द ही इसपर कोई स्पष्ट निर्णय लेकर छात्रों के मन में उठ रहे सभी सवालों का जवाब भी देगी।

जामिया प्रशासन द्वारा मेरिट के आधार पर एडमिशन लेने की जो तैयारी की जा रही है और अगर आप उसका विरोध करते है तो आप हमें अपने विरोध का एक छोटा सा क्लिप बना कर भेजे, याद रखे क्लिप 60 सेकेंड से अधिक का ना हो जिसे हम यूट्यूब और ट्विटर के ज़रिए जामिया प्रसाशन और देशभर में पहुंचाने की कोशिश करेंगें। आप हमें मेल, ट्विटर, व्हाट्सएप, और इंस्टाग्राम के ज़रिए भी अपनी वीडियों भेज सकते है।
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By Khabar Desk

Khabar Adda News Desk

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