पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार भीड़ द्वारा हिं’सा और ह’त्या जैसी घटनाओं पर काबू के लिए विधानसभा में एक विधेयक लाने जा रही है। माना जा रहा है कि 30 अगस्त को इस बिल को विधानसभा में पेश किया किया जाएगा।
इस बिल में मॉब लिंचिंग करने वालों को उम्र कैद की सजा और 1 लाख से 5 लाख रुपये तक जुर्माना का प्रावधान है। सरकार ने बिल में लिंचिंग को हिंसा के कृत्यों का कोई भी काम या इसकी मदद करना, हिंसा को बढ़ावा देना या हिंसा की कोशिश करना, चाहे सहज या योजनाबद्ध तरीके से इसकी योजना बनाना, धर्म, जाति, लिंग, जन्म स्थान, भाषा, भोजन को लेकर, सेक्सुअल ओरिएंटेशन, राजनीतिक प्रतिबद्धता, जातीय या अन्य आधार पर भीड़ द्वारा हिंसा करने के रूप में वर्णित किया गया है।
तृणमूल कांग्रेस के एक वरिष्ठ मंत्री ने मंगलवार को कहा कि इस विधेयक का उद्देश्य कमजोर लोगों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करना और भीड़ द्वारा हत्या की घटनाओं को रोकना है। इसमें अपराध में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई का भी प्रस्ताव किया गया है। विधेयक के अनुसार राज्य के पुलिस महानिदेशक एक समन्वयक नियुक्त करेंगे जो नोडल अधिकारी के रूप में कार्य करेगा।
ये नोडल अधिकारी लिंचिंग की घटनाओं को रोकने के लिए जरूरी उपाय करेगा। अधिकारी ने बताया कि नोडल अधिकारी खुफिया जानकारियों के माध्यम से उन बिंदुओ की पहचान करेंगे दो हिंसा पैदा कर सकते हैं। एक अधिकारी की रैंक के नीचे लिंचिंग की घटनाओं की जांच नहीं करेंगे।
इस विधेयक के मुताबिक किसी भी व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह के खिलाफ इलैक्ट्रानिक या किसी और माध्यम से आपत्तिजनक साम्रगी के प्रकाशन या प्रसार, प्रचार करने पर 3 साल की सजा और 50,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। जो लोग ऐसी साम्रगी बनाएंगे, उन पर 1 लाख रुपये तक का जुर्माना लग सकता है। इस बिल के मिताबिक पीड़ितों को सुरक्षा प्रदान की जाएगी, वो कानूनी सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1987 के तहत कानूनी सहायता पैनल से किसी भी वकील का चयन कर सकते हैं