Wake Up Youngsters ने दिल्ली विश्विद्यालय द्वारा आख़िरी सेमेस्टर क़े ऑनलाइन एग्जाम लेने वाले फ़ैसले को ग़लत बताते हुए मानव संसाधन विकास मंत्री को पत्र लिखा औऱ इस फ़ैसले को छात्र/छात्राओं क़े साथ उत्पीड़न बताते हुए कहा कि जब कोरोना क़े दौरान ना ही कोई क्लासेस हुईं, ना ही कोई क़िताब मिली,ना ही पढ़ाई क़े लिए जरूरी माहौल मिला, ना ही हर छात्र/छात्रा क़े घर में Online Exam देने लायक़ शांत औऱ अलग कमरा होगा औऱ जिन ग्रामीण इलाके में ठीक से लाइट नहीं आती वहाँ के विद्यार्थियों क़े लिए सही स्पीड वाले नेट की कामना करना ही नामुमकिन हैं । ऐसी स्थिति में दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा आख़री सेमेस्टर की ओपन बुक ऑनलाइन परीक्षा कराना विद्यार्थियों क़े साथ उत्पीड़न ही हैं ।
आगे इस फ़ैसले क़े गंभीर परिणामो की तरफ़ इशारा करते हुए कहा कि सामान्य स्तिथि में भी एग्जाम को लेकर छात्र/छात्राओं में मानसिक तनाव रहता हैं, जिन छात्र/छात्राओं क़े पास लैपटॉप, स्मार्ट फ़ोन औऱ नेट की व्यवस्था नहीं हैं एग्जाम क़रीब आने पर हर दिन उनके मानसिक तनाव का लेवल बढ़ता रहेगा हैं जो की विधायर्थियो क़े मानसिक स्वास्थ क़े लिए ख़तरनाक हैं औऱ अग़र यहीं तनाव डिप्रेशन का रूप ले लेता हैं औऱ इस डिप्रेशन की वज़ह से कोई छात्र आत्महत्या जैसे कदम उठा सकता हैं ।
साथ ही Wake Up Youngsters ने सवाल उठाते हुए कहा कि अग़र किसी छात्र या छात्रा ने इस तनाव की वज़ह से ग़लत क़दम उठाया तो उसका लिए कौन जिम्मेदार होगा ?
अंत में Wake Up Youngsters ने मानव संसाधन विकास मंत्री से निवेदन करते हुए लिखा कि जिस तरह सभी सेमेस्टर के एग्जाम कैंसिल हुए उसी तरह आख़िरी सेमेस्टर क़े भी एग्जाम कैंसिल करके छात्र/छात्राओं को इस उत्पीड़न से निज़ात दिलाई जाए।
Wake Up Youngsters के अध्यक्ष वसीम शानू ने बताया कि Wake Up Youngsters का मुख्य काम युवाओं को देश क़े प्रति काम करने क़े लिए जागरूक एवं उत्साहित करना हैं औऱ साथ ही युवाओं को उनको हितों की जानकारी देना औऱ इस फ़ैसले से युवाओं क़े मानसिक स्वास्थ पर असर पड़ने की आसंका क़े चलते यह पत्र लिखने का फ़ैसला किया जिसकी प्रतिलिपि मानव संसाधन विकास मंत्री, उपकुलपति, दिल्ली विश्विद्यालय क़े साथ साथ स्वास्थ मंत्री को भी भेजी गईं ।