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नई दिल्ली : दिल्ली दंगों से जुड़े एक मामले में दिल्ली पुलिस ने कोर्ट को बताया है कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली में भड़की हिंसा के दौरान भीड़ ने जब 22 साल के एक युवक की पहचान मुस्लिम के रूप में की तब उसके साथ न केवल मारपीट की बल्कि जब वह बेहोश हो गया तब उन्मादी भीड़ ने उसे आग के हवाले कर दिया। ताकि यह जान सके कि वह जिंदा है या नहीं। या वो बेहोश होने का नाटक तो नहीं कर रहा। जब घायल शाहबाज आग में हिलने-डुलने लगा तो दंगाइयों ने उस पर लकड़ी डालकर पेट्रोल छिड़क दिया। इससे वह जिंदा जल गया।

शाहबाज की मौत से जुड़े घटनाक्रम के बारे में पुलिस ने कोर्ट को तब बताया, जब मामले में आरोपी 24 साल के राहुल शर्मा की जमानत याचिका पर सुनवाई हो रही थी। पुलिस को शाहबाज की सिर्फ खोपड़ी के कुछ हिस्से और हड्डियों के कुछ जले हुए टुकड़े ही मिले हैं। शाहबाज के परिजनों ने उसे शाहबाज का ही होने का दावा किया है। पुलिस ने कोर्ट को बताया कि डीएनए टेस्ट के बाद ही यह पता चल सकेगा कि वो अंश शाहबाज का है या नहीं? एडिशनल सेशन जज विनोद यादव ने पुलिस के बयान के बाद आरोपी राहुल शर्मा की जमानत याचिका खारिज कर दी। इस मामले में पुलिस ने पांच लोगों को गिरफ्तार किया है।

पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक, 25 फरवरी की सुबह सात बजे के करीब शाहबाज अपने घर से जीटीबी अस्पताल निकला था, ताकि वह आंखों का इलाज करा सके और दवाई ले सके।  दोपहर 2.25 बजे के आसपास उसके भाई मतलूब अहमद ने उसे फोन कॉल किया था, तब उसने बताया था कि वो करावल नगर में है और अंदर की गलियों के रास्ते वह घर आने की कोशिश कर रहा है। इसके बाद मतलूब लगातार शाहबाज को फोन कॉल करता रहा लेकिन उधर से कोई जवाब नहीं आ रहा था। 27 फरवरी को जब मतलूब अपने भाई की तलाश कर रहा था, तभी किसी ने बताया कि उसके भाई शाहबाज को दंगाइयों ने जिंदा जला दिया है।

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By Khabar Desk

Khabar Adda News Desk

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