ख़बर अड्डा, नई दिल्ली (16 जुलाई) संसद का मानसून सत्र18 जुलाई से शुरू हो रहा है। यह सत्र मोदी सरकार के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि ऐसी अटकलें लगाई जा रही है कि यह सत्र मोदी सरकार का अंतिम सत्र होगा। यह अटकलें बेवहज नही है ब्लकि राजनीतिक परिस्थियां और नेताओं की सक्रियता इस ओर इशारा कर रही है।
BSP अध्यक्ष मायावती ने प्रेस कांफ्रेंस कर इसका आशंका जताई है। मोदी सरकार के कार्यकाल में अब सिर्फ 10 महीने शेष है जबकि चार महीने बाद ही देश के तीन बड़े राज्यों में विधानसभा चुनाव होने है।
भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी एक देश और एक चुनाव की माँग लगातार कर रहे है और इसे कुछ पार्टियों का समर्थन भी प्राप्त हो रहा है। पर कांग्रेस और पूरा विपक्ष इसके खिलाफ है। ऐसे में BJP वाकई इस दिशा में आगे बढ़ना चाहती है तो उसके सामने कुछ महीने बाद अच्छा मौका आने वाला है और साल के अंत मे वह एक साथ लोकसभा और करीब आधे राज्य में विधानसभा कर सकती है।
मोदी सरकार की तरफ से एक देश और एक चुनाव कर पीछे संसाधन और समय की बचत का तर्क दिया जा रहा है लेकिन अगर मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों को देखा जाए तो यह योजना BJP के लिए काफी लाभदायक लग रही है ऐसे भाजपा वक़्त से पहले चुनाव कराकर एक तीर से कई निशाना साध सकती है।
2019 में मोदी और शाह की जोड़ी को हराने के लिए विपक्ष एक जुट हो रहा है। BJP यह भी जानती है कि अगर विपक्ष को जितना समय दिया जाएगा वो उसके लिए उतना ही खतरनाक होगा।
ऐसे में BJP समय से पहले लोकसभा भंग करके चुनाव की माँग करती है तो विपक्षी दलों को एक जुट होने का मौका नही मिल पायेगा ऐसी परिस्थिति में BJP बिखरे हुए विपक्ष को आसानी से मात दे कर एक बार फिर सत्ता पे काबिज हो सकती है।
BJP इस बात से बखूबी वाकिफ है कि साल के अंत मे मध्य्प्रदेश, राजिस्थान और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव होने है और इन तीनो राज्यो में भाजपा की स्थिति काफी खराब मानी जा रही है ऐसे अगर इन तीनों राज्यों में भाजप हारती है तो मोदी लहर को धक्का लग सकता है। क्योंकि कोई भी चुनाव हो bJP प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे को ही सबसे बड़े ब्रांड के तौर पर पेश करती है। अगर इन राज्यो में बीजेपी हार गई तो मैसेज जाएगा कि भाजपा और मोदी का जादू अब उतना असरदार नही है।