नई दिल्ली : सोशल मीडिया पर अब एक पत्रकार ने दूसरे पत्रकार के खिलाफ ही मोर्चा खोल रखा है। आये दिन किसी न किसी पत्रकार पर टिप्पणी का खेल चलता रहता है और अब इस श्रेणी में आशुतोष और रोहित सरदाना आ गये हैं। दोनों के बीच सोशल मीडिया पर खूब बहस हुई। आशुतोष ने अपने ट्विटर पर लिखा कि अब बीजेपी सरकार आसम में सोशल मीडिया पर लिखने के लिए अपने ही लोगों को गिरफ्तार करती है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता कहां है
तो रोहित सरदाना ने उस का जवाब देते हुए लिखा
सर, इन दोनों के केस वापस करा लें तो केरल वालों के भी हैं 119 केस. थोड़ा उन बेचारों की भी सुध लीजिएगा. वहाँ के CM साहब ने ख़ुद बताया है. सोचा बता दूँ आपको. शायद ध्यान ना गया हो
उस पर आशुतोष ने लिखा कि बुरा मत मानना। आप ये नहीं मानते कि असम में जो हुआ वो ग़लत हुआ? आप सिर्फ इस तर्क की आड़ में छिपना चाहते हैं कि केरल में भी तो ये हुआ था। बीजेपी कांग्रेस/लेफ़्ट की कार्बन कापी होना चाहती है तो बात अलग है। उन्होने जो किया लोगों ने उन्हे सजा दी! क्या बीजेपी चाहती है उसे भी सजा मिले?
जिस पर रोहित ने लिखा मैंने क्या बुरा मानना सर! बुरा तो आप मान गए लगते हैं.मैं कहाँ किसी की आड़ में छुपा, उलटे मैंने तो वो भी सामने ला के रखा जिसे आपने सफ़ाई से छुपा लिया था.असम में तो ग़लत हुआ ही,पर केरल वाला ग़लत क्यूँ छोड़ दिया आपने? या आप मान रहे हैं कि आपकी चिंता सिर्फ़ BJP वाले राज्यों की है
बात दें कि पिछले दिनों असम पुलिस ने सत्तारूढ़ भाजपा की सोशल मीडिया टीम के दो सदस्यों को गिरफ्तार किया है, जो राज्य सरकार और विशेष रूप से मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल के खिलाफ कुछ मुद्दों पर मुखर थे, जिससे उनके सहयोगियों ने “असहिष्णुता” के आरोप लगा कर उन्हें गिरफ्तार करा दिया।