नई दिल्ली : “जॉब चाहिए, जुमला नहीं” के नारे के साथ बेरोज़गारी के ख़िलाफ़ चल रहे राष्ट्रव्यापी आंदोलन युवा-हल्लाबोल को एक और बड़ी कामयाबी मिली है। इस बार युवा एकता का सकारात्मक असर देखा जा रहा है भारतीय रेल में चल रही भर्तियों पर। ज्ञात होगा कि रेलवे में 13,487 जूनियर इंजीनियर (कनीय अभियंता) की भर्ती परीक्षाओं में हुई धांधली, अनियमितता, पेपर लीक और भ्रष्टाचार के खिलाफ युवा-हल्लाबोल ने मोर्चा खोल दिया था। जिसके तहत 13 सितंबर को देश के उन शहरों में छात्रों के प्रदर्शन हुए जहाँ आरआरबी स्थित हैं। देशव्यापी प्रदर्शन के बाद सभी 21 आरआरबी केंद्रों में ज्ञापन देकर युवा-हल्लाबोल ने छात्रों के साथ सात दिनों के अंदर न्याय करने की मांग की थी।
उसी दिन रेलवे ने छात्रों के प्रदर्शन को संज्ञान में लेते हुए मेल एवं पत्र के माध्यम से संबंधित आला अधिकारियों तक बात पहुँचाई और इसकी प्रति युवा हल्लाबोल के दिल्ली स्थित कार्यालय को दिया।
प्रदर्शन के दो दिन बाद ही कम से कम 9 रेलवे भर्ती बोर्डों ने अपने कुछ केंद्रों पर पेपर कैंसिल करके दुबारा परीक्षा करवाने की घोषणा कर दी। इससे युवा-हल्लाबोल के इस दावे की भी पुष्टि होती है कि परीक्षा में गड़बड़ियां हुई थी। इसके अलावा प्रदर्शन के सप्ताह भर के अंदर ही रेलवे ने परीक्षा करा रहे वेंडर सतवत इंफोसोल प्राइवेट लिमिटेड का पत्ता काट दिया। 18 सितंबर को रेलवे ने नोटिस जारी करके आगामी परीक्षाओं के लिए नए वेंडर्स आमंत्रित किया है, जो कि रेलवे अभ्यर्थियों के संघर्ष की जीत है।
युवा हल्लाबोल अभी भी संघर्षरत है और रेलवे से सीबीटी वन एवं सीबीटी टू में हुई तमाम अनियमितताओं को ठीक करने की लगातार मांग कर रहा है। छात्रों की मांगों को पूर्ण रूप से मनवाने के लिए आगामी योजना बनाने के उद्देश्य से 23 सितंबर को दिल्ली में बैठक कर निर्णय लिया जाएगा।
युवा-हल्लाबोल का नेतृत्व कर रहे अनुपम ने इस जीत को आंशिक बताते हुए कहा कि यह हर उस युवा को समर्पित है जिसमें एकजुट होकर संघर्ष करने और निडर जोकर लड़ने का जज़्बा है। देश के बेरोज़गार युवाओं की बुलंद और विश्वसनीय आवाज़ बन चुका युवा-हल्लाबोल आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक कि मेहनतकश और ईमानदार छात्रों को रोज़गार के पर्याप्त अवसर, निष्पक्ष चयन प्रणाली और समयबद्ध भर्ती प्रक्रिया न मिले।