नई दिल्ली : दिल्ली के 70 विधायकों में से एक विधायक ओखला के लोकप्रिय नेता अमानतुल्लाह खान भी है। अमानतुल्लाह खान आम आदमी पार्टी के बड़े नेता और एक मुस्लिम चेहरे के रूप माने जाते है। यह ना सिर्फ विधायक थे बल्कि दिल्ली वक़्फ़ बोर्ड के चैयरमैन भी थे। दिल्ली वक़्फ़ के चेयरमैन रहते हुए इन्होंने कई ऐसे काम किए की इनकी लोकप्रियता पूरे देश भर में फैल गई। विधवाओं को पेंशन, छात्रो को स्कॉलरशिप और मॉब लिंचिंग का शिकार हुए लोगों की आर्थिक मदद के साथ हाल में हुए दिल्ली दंगो से लोगों को उभारने और पीड़ितों की मदद की वज़ह चर्चाओं में बने हुए थे उनके कामों की वजह से लोग दिल्ली वक़्फ़ बोर्ड और अमानतुल्लाह खान की जम कर तारीफ कर रहे थे।
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लेकिन अचानक से रात एक बड़ी खबर ने सबको चौंका दिया। जिसमें दिल्ली सरकार ने अमानतुल्लाह खान को दिल्ली वक़्फ़ बोर्ड के चैयरमैन के पद से हटा दिया । हटाने के पीछे कई कानूनी दाव पेंच लगाया गया है लेकिन सच यह है कि दिल्ली में हुए दंगो से लोगों को उभारने और उनको नई जिंदगी शुरू कराने के लिए जो काम वक़्फ़ बोर्ड कर रहा थे उसका नुकसान दिल्ली वक़्फ़ बोर्ड के चैयरमैन अमानतुल्लाह खान को उठाना पड़ा है बीते रात अमानतुल्लाह खान को उनके पद से हटा दिया गया। अमानतुल्लाह खान को दिल्ली वक़्फ़ बोर्ड के चैयरमैन के पद से हटाए जाने के बाद कई सवाल उठने लगे है। क्या अमानतुल्लाह खान की लोकप्रियता से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल बौखला गए है? क्या अरविंद केजरीवाल आम आदमी पार्टी में किसी भी मुस्लिम चेहरे को एक बड़े मुस्लिम नेता के रूप में देखना नहीं चाहते थे? क्या केजरीवाल या दिल्ली सरकार दिल्ली में हुए दंगो से लोगों को अभी उभारना नहीं चाहते थे? और क्या अमानतुल्लाह खान को दंगा पीड़ितों की मदद महंगी पड़ी?