ख़बर अड्डा, नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने भारत के लोकतंत्र को भीड़ तंत्र में बदलने पर आशंका जताई है और कहा है कि कोई भी व्यक्ति को यह अधिकार नही है कि वह कानून को हाथ मे ले। वही सुप्रीम कोर्ट ने संसद को इस पर कानून बनाने की बात कही है।
वही दूसरी तरफ समाजिक कार्यकर्त्ता स्वामी अग्निवेश पर झारखंड के पाकुड़ में एक भीड़ ने हमला बोल दिया स्वामी के साथ मारपीट और गाली गलौज तक किया गया और ऐसा बताया जा रहा है कि यह भीड़ भाजपा के युवा कार्यकर्ताओं की थी। आखिर यह हमला क्यों हुआ और हमला करने वालों की मंशा किया थी? यह तो अभी तक साफ नही हुआ है
हमले के बाद स्वामी अग्निवेश ने सरकार से यह माँग की है कि जो लोग हमले हमले में शामिल थे उनका संगठन किया है? और वह कौन लोग है? इसकी जाँच कर सरकार उनपर करवाई करे।
यह पहला ऐसा मौका नही है जब एक संयोजित भीड़ किसी भी पर भी हमला कर उसकी जान ले लेती है। बल्कि आएदिन यह ख़बर सुनने को मिलती है कि बच्चा चोरी के नाम पर भीड़ ने व्यक्ति की ली जान, तो दूसरी तरफ यह खबर होती है गौ मांस रखने के शक में भीड़ ने एक मुस्लिम युवक को मौत के घाट उतारा, ऐसे में देश मे बढ़ता भीड़ तंत्र लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी नहीं तो और किया है।
इन घटनाओं में 2014 के बाद बढ़ौतरी हुई है गौ रक्षा के नाम पर भीड़ द्वारा मारा जाना और सत्ता में बैठे लोगों का चुप रहना इस बात की ओर संकेत देता है कि कहि इस भीड़ को सरकार का समर्थन तो प्राप्त नही है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट का संसद को कानून बनाने के लिए कहना कितना उचित होगा? और जो सरकार भीड़ द्वारा की जा रही हत्याओं पर चुप रहे उससे इन हत्याओं पर कानून बनाने की उम्मीद रखना क्या नाइंसाफी नही होगी ??