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नई दिल्ली :-

लेखक : Waseem Shanu

  एक वक़्त था जब ईमानदार राजनीति क़े बारे में बात करना या उसकी उम्मीद भी करना ख़ुद की खिल्ली उड़ाने वाली बात होती हैं । इसलिए सभी की तरह मैं भी इसी बात में यक़ीन रखता था क़े इस देश का कुछ नहीं हो सकता, यहाँ भ्रष्टाचार ख़त्म नहीं हो सकता, यहाँ ईमानदारी से राजनीति नहीं हो सकती, यहाँ शिक्षा एवं स्वास्थ्य की सरकारी सेवाएं ठीक नहीं हो सकती । उस वक़्त में 11th क्लास का छात्र था, देशभक्ति की कहानियां पढ़कर लगता था क़े काश हम भी उस दौर में पैदा हुए होते, हमें भी आज़ादी की लड़ाई में भाग लेने का मौका मिलता औऱ हम भी कुछ कर पाते औऱ उस समय “रंग दे बसंती” मेरी पसंदीदा फ़िल्म हुआ करती थी जिसे देख कर लगता था क़े अभी भी वक़्त हैं क़े हम इस देश क़े लिए कुछ कर सकते हैं, लेक़िन वो हिम्मत नहीं थी क्योंकि कोई उम्मीद नज़र नहीं आती थी ।

फ़िर अन्ना आंदोलन की शुरुआत हुईं उस वक़्त दिल्ली से दूर 11-12th क्लास का एक छात्र होने की वज़ह से आंदोलन में तो शामिल नहीं हो पाया लेक़िन उस दिन से एक उम्मीद जगी के हाँ इस देश में भ्रष्टाचार क़े ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ी जा सकती हैं औऱ सबसे बड़ी ताक़त ये मिली की लड़ाई जीती जाए या हारी जाए लेक़िन उसमे हमें अपनी भागीदारी देनी चाहिए क्योंकि जिस उम्मीद को तुम ढूँढ रहे थे वो तुम्हारे सामने थी अगर इसमे अपना योगदान ना दिया तो शायद हमेशा ये अफ़सोस रहता क़े देश क़े लिए कुछ करने का एक मौका मिला था औऱ हमने वो गवा दिया । इसलिए अपनी तरफ़ से जो हो सका वो स्कूल लेवल पर किया फ़िर अगस्त 2012 में दिल्ली आना हुआ औऱ पढ़ाई क़े साथ साथ थोड़ा सोशल वर्क शुरू किया ।
लेक़िन आंदोलन को लेकर एक धारणा बनी हुई थी क़े आंदोलन होते हैं औऱ खत्म हो जाते हैं औऱ कोई बदलाव नहीं होता क्योंकि ये राजनीतिक लोग बहुत शक्तिशाली होते हैं औऱ यही सबसे बड़े भ्रस्टाचारी इसलिए थोड़ा असमंजस की स्थिति बनी रहती थीं ।
फ़िर 26 नवंबर 2012 को, आम आदमी पार्टी की स्थापना हुईं औऱ उस दिन उम्मीद औऱ पुख़्ता हो गई कि हाँ अब बदलाव आएगा क्योंकि उस वक़्त तक यह तो समझ आ चुका था कि देश की हर समस्या को ख़त्म करने क़े लिए सबसे पहले राजनीति को बदलना होगा औऱ इसे राजनीति में उतर कर ही बदला जा सकता हैं जैसे कीचड़ को साफ़ करने क़े लिए कीचड़ में उतरना ही पड़ता हैं ।
पार्टी बनी औऱ में उसका कार्यकर्ता जिसके लिए मुझे आज गर्व हैं । पहले ही चुनाव में जनता की इस उम्मीद को जनता ने रोशनी दी लेक़िन कुछ सीट्स कम रहने का फ़ायदा उठाने क़े लिए देश की दो सबसे बड़ी पार्टियों ने साज़िश की इस नई आंदोलनकारी पार्टी को ख़त्म करने की । लेक़िन 2015 में जनता ने इस उम्मीद को टूटने नहीं दिया औऱ फिऱ 5 साल में जो इस आंदोलनकारी सरकार ने तमाम साजिशों क़े वबजूद किया वहीं एक उम्मीद को मजबूत करता हैं ।
जब पार्टी बनी तब बहुत ज़्यादा समझ नहीं थी बस एक भ्रस्टाचार को लेकर रोष था लेक़िन ये नहीं सोचा था क़े सिर्फ़ 5 साल में ही सरकारी व्यवस्थाओं में इतना बदलाव हो सकता हैं । हर सुबह जब घर से निकलता हूँ रास्ते का हर सरकारी स्कूल मूझे गर्व महसूस कराता हैं कि यह उस पार्टी ने बनाया हैं जिसका में कार्यकर्ता हूँ , जब में उस फ्लाईओवर से गुजरता हूँ जिसमे भरस्टाचार ना होने की वज़ह से करोड़ो रूपये बचे तब मुझे गर्व होता हैं कि जिस उम्मीद से मैने इस आंदोलन में हिस्सा लिया उसकी शुरुआत तो हुईं, हर मोहल्ला क्लिनिक मुझे गर्व महसूस कराता हैं कि यह उसी मेहनत का नतीजा हैं जो मेरे जैसे लाखों कार्यकर्ताओं ने की औऱ जब उन ग़रीब लोगों से मिलता हूँ औऱ उनकी ख़ुशी देखता हूँ जिनका बिजली पानी का बिल 0 आता हैं औऱ उनके लिए ये 1000-2000 की बचत बहुत मायने रखती हैं तब गर्व महसूस होता हैं उस आंदोलन का हिस्सा होने का जिसके बाद कोई ऐसी सरकार बनी जो ग़रीबी जनता क़े बारे में सोचती हैं ।
26 नवंबर – राजनीतिक क्रांति की स्थापना
26 नवंबर – उम्मीदों की स्थापना

आप आदमी पार्टी क़े स्थापना दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं ।

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By Khabar Desk

Khabar Adda News Desk

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