Fri. Mar 14th, 2025

वाराणसी : भारत किस प्रकार अपने रत्नों को भारत रत्न देकर उन्हें व उनकी संस्कृति को बिसरा देता है इसका एक उदाहरण घाटों के शहर बनारस से आया है। पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया के जरिए उस्ताद बिस्मिल्ला खां मार्ग की तस्वीरें साझा की जा रही है जो बनारस को क्योटो में तबदील करने की पूरी कहानी बयां करती है। इन तस्वीरों को साझा किया था उस्ताद बिस्मिल्ला खां एजुकेशनल सोसायटी की कोषाध्यक्ष सविता आनंद ने जो संस्था के माध्यम से इस विरासत को संरक्षित करने का काम कर रही हैं।

https://twitter.com/savita_ubkes/status/1404677487070572546?s=19

उनके ट्वीट करने के बाद वरिष्ठ पत्रकार पुण्य प्रसून वाजपाई

और शबाना आज़मी ने भी ट्वीट के माध्यम से सरकार का मामले की ओर ध्यान आकर्षित किया। परंतु अफसोस कि अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है और स्थिति बद से बदत्तर हो रही है।

आज फिर सविता आनंद ने अपने ट्वीट से उस्ताद के घर की ओर जाने वाले रास्ते की तस्वीरें साझा की है, जो अपने आप में प्रशासन पर कई सवाल खड़े करती है।

https://twitter.com/savita_ubkes/status/1407213653892337666?s=08

जिसमें उन्होंने लोगों का साथ मांगा है, वह कहती हैं “उस्ताद की विरासत को सांस्कृतिक धरोहर के रूप में संरक्षित करने का काम तभी पूर्ण हो सकेगा जब व्यापक समाज का सहयोग होगा। UBKES के ज़रिए इस जर्जर होती इमारत को संग्रहालय के रूप में संरक्षित करना एक ऐसा ही महत्वपूर्ण कार्य है, ताकि युवा पीढ़ी को उस शख्सियत से हम रूबरू करवा सकें जो सादगी और सांझी संस्कृति की नायाब मिसाल रहे, जिन्हें अपने भारत रत्न होने पर घमंड और गुमान कभी छू भी न सका और जिनका जीवन सादगी सरलता और सौम्यता का मिसाल रहा।” इस मुहिम में उस्ताद के पौत्र और संस्था के अध्यक्ष अफाक हैदर उनका साथ दे रहे है।

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By Khabar Desk

Khabar Adda News Desk

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