लेखक : रोहिणी सिंह (पत्रकार)
दलित समाज का गरीब व्यक्ति आज़मगढ़ के बासगाँव का ग्राम प्रधान बना। उससे गलती बस इतनी हुई कि उसने ठाकुरों के वर्चस्व के बावजूद अपने निर्णय खुद लेने की जुर्रत कर दी। उसे उसकी सजा मिली, घर से बाहर बुलाया गया और उसकी गोली मार कर निर्मम हत्या कर दी गयी, उसका नाम ‘सत्यमेव जयते’।
पिछले कुछ दिनों से UP किस दिशा में बढ़ रहा है यह शायद दिल्ली में बैठे ‘वरिष्ठ सम्पादकों’ को अपने स्टूडियो में बैठ कर नहीं दिख रहा। जातीय हिंसा, महिला उत्पीड़न, पुलिस की बर्बरता और साम्प्रदायिकता की आग में उत्तरप्रदेश जल रहा है और दूसरी तरफ ‘रामराज्य’ की बातें हो रही हैं।
21वीं सदी में दलित अपने निर्णय खुद नहीं ले सकता, महिलाएँ घर से बाहर निकलने में घबराती हैं, बच्चों में साम्प्रदायिकता का ज़हर घोला जा रहा है और गरीब की स्थिति बद ऐ बदतर होती जा रही है। जमीन पर पुलिस आपको आवाज उठाने नहीं देगी और सोशल मीडिया पर बिके हुए ट्रोल। आपातकाल किसे कहते हैं?