लेखक : रवीश कुमार
दोस्तों, हारना नहीं है ।
हम आर्थिक चुनौतियों के दौर में हैं। बहुत से लोगों की नौकरी चली गई होगी। जा सकती है। सैलरी कम हो गई होगी या हो सकती है। याद रखना है कि ये हालात आपकी वजह से नहीं आए हैं। आप ख़ुद को दोष न दें। न हार अपमानित महसूस करें। रास्ता नज़र नहीं आएगा लेकिन हिम्मत न हारें। कम से कम खर्च करें। अपनी मानसिक परेशानियों को लेकर अकेले न रहें। दोस्तों से बात करें। रिश्तेदारों से बात करें। किसी तरह का बुरा ख़्याल आए तो न आने दें। इस स्थिति से कोई नहीं बच सकता। तो धीरे धीरे खुद को पहाड़ काट कर नया रास्ता बनाने के लिए तैयार करें। आपके नेताओं की मौज रहेगी। उनके चक्कर में अपनी भाषा या सोच ख़राब न करें। कुछ न कुछ हो जाएगा। जीना है। कल के लिए। कंपनियाँ निकाल देंगी। उनका न पहले कुछ हुआ है और न आगे होगा। तो धीरज रखें। कम में जीना है। नए नए काम देखिए। हो सकता है कि आप समझें कि ये आपके लायक़ नहीं है। ऐसी सोच से मुक्त हो जाइये। कर लीजिए। सबको बताइये कि यही मिला तो कर रहा हूँ। इसे सामान्य बना दीजिए। किसी से छिपा कर आप अपना ही बोझ बढ़ाएँगे। महँगे स्कूल से सस्ते स्कूल और महँगे घर से सस्ते घर की तरफ़ चले जाइये। यह वक्त आपका इम्तहान लेने आ गया है।
https://youtu.be/crfT_jMpG0A
भरोसा रखिए जब आपने एक बार शून्य से शुरू कर यहाँ तक लाया है तो एक और बार शून्य से शुरू कर आप कहीं पहुँच जाएँगे। बस यूँ समझिए कि आप लूडो खेल रहे थे। 99 पर साँप ने काट लिया है लेकिन आप गेम से बाहर नहीं हुए हैं। क्या पता कब सीढ़ी मिल जाए। हंसा कीजिए। थोड़े दिन झटके लगेंगे। उदासी रहेगी लेकिन अब ये आ गया है तो देख लिया जाएगा यह सोच कर रोज़ जागा कीजिए।
यह इसलिए लिख रहा हूँ क्योंकि जिनकी नौकरी जा रही है वो उदास हो जा रहे हैं। बीच बीच में जीवन समाप्त की बात लिख देते हैं। ऐसा करने से क्या फ़ायदा। मीडिया में ही नौकरी जा रही है तो मीडिया में छप कर नौकरी नहीं मिलेगी। जिस कंपनी ने निकाला है पहली बार नहीं निकाला होगा। उसे पता है किसी को फ़र्क़ नहीं पड़ता है। इसलिए मन को मज़बूत रखें और मन से बातें करें।