नई दिल्ली : नई दिल्ली: दिल्ली के जाफराबाद में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ चल रहे प्रदर्शनों के बीच रविवार को शुरू हुआ हंगामा सोमवार को और हिंसक हो गया जो आज मंगलवार को भी जारी है। नागरिकता कानून के विरोधियों और समर्थकों के बीच हिंसक झड़पें हुईं जिसमें एक पुलिस कॉन्सटेबल समेत 5 लोगों की मौत हो गई. भजनपुरा के पास चांदबाग में रतनलाल नाम के हेड कॉन्सटेबल की मौत हो गई है. वहीं, मोहम्मद फुकरान की भी गोली लगने से जान चली गई. दिल्ली दंगों के बीच धकेलने में भाजपा नेता कपिल मिश्रा का बहुत बड़ा हाथ माना जा रहा है।
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दिल्ली में लगातार दूसरे दिन भी हिंसा जारी है पुलिस तमाशाई बनी हुई है। कई घरों और दुकानों को आग के हवाले कर दिया गया है। आज तड़के सुबह आग को काबू करने गए फायर बिग्रेड की गाड़ियों में भी आग लगा दी गई।
दिल्ली जल रहा है पर दिल्ली के मुख्यमंत्री ऐसे चुप है जैसे उनकों इन सब से कोई फर्क नहीं पड़ता है। क्यों दिल्ली जल रहा है और मुख्यमंत्री अपने आवास पर बैठ कर मज़े कर रहे है? क्यों वह अपने आवास से बाहर नहीं निकले, क्यों वह खुद रात में LG से मिलने नहीं गए, क्यों उन्होंने रात में ही गृह मंत्री से मिलने का समय नहीं मांगा, क्यों केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से दिल्ली में शांति स्थापित करवाने की माँग नहीं कि? तो मान लिया जाए कि दिल्ली में जो कुछ भी हुवा उसमें केजरीवाल का भी मौन समर्थन था। दिल्ली पूरी रात के बाद अब अगले दिन सुबह भी जलती रही पर केजरीवाल के लिए यह बड़ा मुद्दा है कि नहीं वरना वह खुद आगे आते और दिल्ली की शांति स्थापित करने में पहल करते। प्रभावित लोगों से मिलते और दूसरे लोगों को समझाने का प्रयास करते? पर दिल्ली हिंसा पर प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह की चुप्पी से ज्यादा खतरनाक है केजरीवाल का मौन समर्थन!