गुरुवार को रिलीज की गई इस रिपोर्ट का नाम ‘द ब्लडी संडे 2019’ रखा गया है. इसमें यह दावा किया गया है कि दिल्ली पुलिस ने छात्रों को 13 दिसंबर को संसद तक मार्च निकालने से रोका, और उनपर ‘अत्यधिक और अंधाधुंध लाठीचार्ज’ किया गया. इसमें यह भी लिखा गया है कि जो छात्र उस प्रदर्शन में शामिल नहीं थे, उनपर भी हमले किये गये.
इस हिंसा में कई छात्र गंभीर रूप से घायल हो गए थे, वहीं कुछ छात्रों को हिरासत में भी लिया गया था.रिपोर्ट में यह भी लिखा गया है कि पुलिसकर्मियों का उद्देश्य केवल भीड़ मैनेज करना नहीं बल्कि ‘छात्रों को चोट पहुंचाना’ भी था.
पुलिस ने उन छात्रों को भी पीटा है जो प्रदर्शन में शामिल नहीं थे
रिपोर्ट में बताया गया है कि पुलिस ने उन छात्रों को भी पीटा है जो प्रदर्शन में शामिल नहीं थे।रिपोर्ट के अनुसार पुलिस वहां पर सिर्फ मार्च को मैनेज करने के लिए नहीं थी बल्कि वह लोग उस मार्च का दमन करने के लिए थी। पुलिस की हिंसक कार्यवाई से साफ़ पता चलता है कि पुलिस मार्च में मौजूद लोगो को चोट पहुंचाने के लिए आई थी।
रिपोर्ट में पुलिस के लाइब्रेरी में घुसकर तोड़फोड़ करने का जिक्र करते हुए लिखा गया कि पुलिस बिना इज़ाज़त के कैंपस में घुसी जिसकी जानकारी प्रशासन को नहीं थी और पुलिस ने सबूत मिटाने के लिए कैमरे भी तोड़े है।रिपोर्ट के अनुसार पुलिस ने गिरफ्तार किए गये छात्रों को कानूनी मदद लेने से भी रोका तथा घायल छात्रों का इलाज़ भी नहीं करवाया