नई दिल्ली : नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर लोकसभा में जारी बहस में दिलचस्प नजारा देखने को मिला है। एक तरफ शिवसेना ने इस बिल को लेकर सवाल उठाए हैं, जबकि अकसर प्रखर राष्ट्रवाद से जुड़े मुद्दों पर सवाल उठाने वाली जेडीयू समेत कई दलों ने खुलकर समर्थन किया है।
बता दें की इस नागरिकता संशोधन विधेयक में छह समुदायों- हिन्दू, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध तथा पारसी के लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान करना है. वहीं इस बिल में मुस्लिमों को शामिल नहीं किया गया है, इसलिए विपक्ष ने बिल को भारतीय संविधान में शामिल धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों के खिलाफ बताते हुए उसकी आलोचना की और लोकसभा में इसका विरोध किया।
देश के नॉर्थईस्ट राज्यों में भी इस विधेयक का विरोध किया जा रहा है, और उनकी चिंता है कि पिछले कुछ दशकों में बांग्लादेश से बड़ी तादाद में आए हिन्दुओं को नागरिकता प्रदान की जा सकती है।
NRC/CAB संविधान के अनुच्छेद 14-15 का खुला उल्लंघन है.भारतीय संविधान जाति, लिंग&धर्म के अधिकार पर किसी भेदभाव का निषेध करता है. यह धर्म के आधार पर भेदभाव पैदा करने वाला है. आने वाले दिनों में दलितों -पिछड़ों को भी बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है. इसे रोकना होगा.#NRC_नहीं_चलेगा
— Dr. Udit Raj (@Dr_Uditraj) December 9, 2019
दरअसल लोकसभा में विधेयक को पेश किये जाने के लिए विपक्ष ने मांग किया की मतदान करवाया जाये। जिसके बाद सदन ने 82 के मुकाबले 293 मतों से इस विधेयक को पास कर दिया। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस सहित विपक्षी सदस्यों ने विधेयक को संविधान के मूल भावना एवं अनुच्छेद 14 का उल्लंघन बताते हुए इसे वापस लेने की मांग की है।
इस बिल के लोकसभा में पास होने के बाद विपक्षी नेता मोदी सरकार के इस सिटिज़नशिप अमेंडमेंट बिल का पुरजोर विरोध कर रहे हैं. कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद उदित राज ने ट्वीट कर कहा- ‘NRC/CAB संविधान के अनुच्छेद 14-15 का खुला उल्लंघन है. भारतीय संविधान जाति, लिंग और धर्म के अधिकार पर किसी भेदभाव का निषेध करता है. यह धर्म के आधार पर भेदभाव पैदा करने वाला है. आने वाले दिनों में दलितों-पिछड़ों को भी बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है. इसे रोकना होगा’.