पटना : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जिनको सुशासन बाबू के नाम से जाना जाता था पर पिछले कुछ सालों में बिहार में अपराधियों ने ऐसा डेरा डाला है कि सुशासन बाबू को लोग अब कुशासन बाबू के नाम से जानने लगे है। बिहार में हर दिन हत्याएं हो रही है, तो ब्लात्कार, लूट और भीड़तंत्र के ज़रिए लोकतंत्र पर दाग लगाने की सारी कोशिशें जारी है।
दीवाली की रात बिहार में दर्जनों लोगों की हत्या और उसी रात बेगूसराय में एक ही परिवार के कई लोगों की हत्या कर दी जाती है और सुशासन का तमगा पहने मुख्यमंत्री मौन व्रत रखें रह जाते है। बिहार में शिक्षा व्यवस्था में लूट ज़ारी है तो बालिका गृह में लड़कियों के साथ ब्लात्कार की घटना कम होने का नाम नहीं ले रही है तो वहीं स्वास्थ्य सुविधाएं ऐसी है कि एक हफ्ते में सैकड़ों बच्चें एक ही अस्पताल में दम तोड़ देते है और मुख्यमंत्री मुहं तकते रह जाते है।
बिहार में बिगड़ती कानून व्यवस्था पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक हाई लेवल मीटिंग बुलाई तो राजद ने इसे कागज़ी खानापूर्ति करार दिया। युवा राजद के प्रदेश प्रवक्ता सह मीडिया प्रभारी अरुण यादव ने कहा कि बिहार में आपराधिक घटनाओं ने सुशासन की पोल खोलकर रख दिया है। कानून का इकबाल खत्म हो चुका है।
लॉ एंड आर्डर को लेकर सीएम नीतीश कुमार जी का हाई लेवल मीटिंग कागजी खानापूर्ति के सिवा कुछ नही है।
बिहार में आपराधिक घटनाओं ने सुशासन की पोल खोलकर रख दिया है। कानून का इकबाल खत्म हो चुका है।
मुख्यमंत्री जी, आप में बिहार की विधि-व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त करने की क्षमता नही है।
— Arun Kumar Yadav (@Arunrjd) November 20, 2019
अरुण यादव ने ट्वीट करते हुए लिखा ” लॉ एंड आर्डर को लेकर सीएम नीतीश कुमार जी का हाई लेवल मीटिंग कागजी खानापूर्ति के सिवा कुछ नही है। बिहार में आपराधिक घटनाओं ने सुशासन की पोल खोलकर रख दिया है। कानून का इकबाल खत्म हो चुका है।
मुख्यमंत्री जी, आप में बिहार की विधि-व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त करने की क्षमता नही है।