नई दिल्ली : उर्दू शायरी की दुनिया के धूम मचाने वाले और हर किसी के दिल मे अपनी जगह बनने वाले डॉ. राहत इंदौरी किसी परिचय के मोहताज नही है। राहत इंदौरी की ऑफिशियल बायोग्राफी मंज़रे आम पर आ चुकी है जिसमें उनके चाहने वालों को उनकी ज़िंदगी को और करीब से जानने का मौका मिलेगा।
राहत इंदौरी की शायरी की तरह उनकी बायोग्राफी ने भी खूब धूम मचाया है और देखते ही देखते अमेज़न पर बेस्टसेलर बन गई। राहत इंदौरी की बायोग्राफी ” राहत साहब मुझे सुनाते रहे लोग वाक़िआ मेरा” को डॉ. दीपक रूहानी ने लिखा है।
इस बायोग्राफी को लेकर डॉ. राहत इंदौरी लिखते है कि ये किताब, बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल नहीं हिकायाते-हालात और हिकायाते-तज्रबात है, मेरे हाफ़िज़े की दहलीज़ पर जो क़िस्से और वाक़िआत दस्तक देते हैं वो एक-दूसरे से मिलकर गड्डमड्ड हो चुके हैं , यह किसी puzzle की सी है। एक ऐसे गत्ते से काटे हुए बे-तरतीब टुकड़े, जो आधी सदी से गर्मी, सर्दी, बारिश, धूप-छाँव जैसे अनाम और अनजान मौसमों से आँखें मिलाते-मिलाते बूढ़ा हो गया, या यूँ कहिये कि इस किताब के ज़ियादातर काग़ज़ इतने भीग चुके हैं कि इस पर मौजूद तहरीर पर लगाने को तैयार है, लेकिन इस किताब के लेखक की ज़िद ने इसे तरतीबवार बनाने की मुकम्मल कोशिश की है। दिलचस्पी का हल्का सा दरीचा खोलने पर राहत इंदौरी की तस्वीर को पहचानना आसान हो जाता है।
उन्होंने आगे कहा कि मैं चाहता हूँ कि लोग इसे कोई नाम दें ताकि पता चल सके कि मैं कहाँ दफ़्न हूँ…
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