Fri. Oct 18th, 2024

दो बच्चे एक दूसरे के कांधे पर हाथ रख कर जा रहे थे।
पीछे से हमलोग आ रहे थे ।
स्कूल में छुट्टी नहीं हुई थी , पर
बच्चे स्कूल से किताब लेकर जा रहे थे ।
मेरा सवाल था —- अभी तो छुट्टी हुई नहीं , तुमलोग कैसे जा रहे हो ।
एक बच्चा छूटते ही बोला ——
“”” आज मेरा काम नहीं हुआ “”””

क्या पढ़ाई नहीं हुई — मैं ने पूछा ।
“पढ़ाई क्या ,, आज तो न सर क्लास में आए , न हाज़री हुई ” — उसने गुस्से में कहा।
क्लास में बच्चे चिल्ला रहे हैं , पर सर लोग कुछ नहीं करते ।
मेरे सर में दर्द होने लगा , इसलिए खिड़की से कुद कर आ गया ।।।।।। एक बच्चे ने बताया । “”
तो तुम अपना काम जानते हो ??? मेरा सवाल था ।
हाँ ,,, मेरा काम पढ़ना है ।
पर —— (बच्चे ने कहा )
पर क्या -‘- (मैं ने पूछा )
बच्चा कुछ देर चुप था —— फिर बोला ।
पर ,सर लोग पढ़ाते नहीं।
लेकिन हाँ , सब सर ऐसे नहीं हैं — बच्चा बोलता हुआ आगे बढ़ गया ।

और एक बड़ा सवाल छोड़ गया “””” आज मेरा काम नहीं हुआ “”””
सच है — पढ़ना बच्चों का काम है और
पढ़ाना शिक्षक का ।
बच्चे अगर ऐसे मायूस होकर घर जाने लगे ।
तो सरकारी स्कूलों की हालत कभी नहीं सुधरेगी ।
गरीब का बच्चा , गरीब ही रह जाएगा ।
शिक्षक अगर शिक्षक होने का दायित्व नहीं निभाएंगे , तो कौन निभाएगा ।
ज़रा सोचिए ——–

 

यह लेख अंजुम इंक़लाबी द्वारा लिखा गया है, यह लेखक के अलावा शायर भी है.

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By Khabar Desk

Khabar Adda News Desk

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